क्या आप पाइल्स से परेशान हैं? यहां जानिए सब कुछ

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    बवासीर क्या है?

    बवासीर जिसे पाईल्स या अर्श भी कहा जाता है, वे असल में फूली हुई गुदागत रक्तवाहिनियाँ होती हैं। अपनी सामान्य अवस्था में, वे कुशन जैसे होते हैं जो मल नियंत्रण में मदद करते हैं। सूजन होने पर ये व्याधि का रूप लेती हैं; बवासीर गुदा के आसपास या मलाशय के निचले हिस्से में होनेवाली शोथयुक्त रक्तवाहिनियाँ होती हैं।

    बवासीर के प्रकार

    बवासीर दो प्रकार के होते हैं – बाह्य और आभ्यंतर (आंतरिक)

    आंतरिक बवासीर के परिणामस्वरूप अक्सर मलाशय से वेदनारहित, चमकदार लाल रक्तस्राव होता है। यह गुदा के वलयों और मलाशय के निचले हिस्से में बनते हैं।

    तथापि गुदा के आसपास होनेवाली सूजन और वेदना के परिणामस्वरूप बाह्य बवासीर होता है। यह गुदा के आसपास की त्वचा के नीचे बनता है।

    कारण :-

    जबकि बवासीर का उचित कारण अज्ञात है, जिन कारणों से उदरीय दाब में वृद्धि होती हैं वो इसका निदान माने जाते हैं। इसमें कई कारण माने जाते हैं। जिनमें आंत्र की अनियमित गति (कब्ज या दस्त), व्यायाम का अभाव, असंतुलित पोषण, रेशेदार आहार की कमी, बढ़ा हुआ आभ्यंतर उदरीय दबाव (लंबे समय तक तनाव, जलोदर या गर्भावस्था), आनुवंशिकी,अर्शगत रक्तस्रावी शिराओं के भीतर होनेवाली वाल्वों की अनुपस्थिति, और बुढ़ापा, आदि कारण शामिल हैं।

    बवासीर तब होता है जब गुदा के आसपास की नसों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। जैसे की:

    • मल त्याग के दौरान ज़ोर लगाना
    • लंबे समय तक शौचालय पर बैठे रहना
    • पुरानी कब्ज या दस्त
    • रेशेदार आहार का अभाव
    • गुदा और मलाशय की कोषिकाएँ कमजोर होना। यह बढ़ती उम्र और गर्भावस्था के कारण हो सकता है।
    • बार-बार वज़नदार चीज़ें उठाना

    गर्भावस्था के दौरान बवासीर होना बहोत सामान्य है। गर्भावस्था के दौरान, गर्भ के वज़ह से पेट पर दबाव आने से और हार्मोनल परिवर्तन के कारण गुदगत रक्तस्रावी वाहिकाएं बढ़ जाती हैं। बच्चे के जन्म से भी अंतर उदरीय के दबाव में वृद्धि होती है। गर्भवती महिलाओं को बहोत कम बार शल्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है, क्योंकि लक्षण आमतौर पर प्रसव के बाद ठीक हो जाते हैं।

    लक्षण:-

    बाहय बवासीर के लक्षण:

    • गुदा में खुजली
    • गुदा के पास एक या अधिक कठीन , कोमल गांठें
    • गुदागत वेदना विशेषतः बैठते समय

    अभ्यन्तर बवासीर के लक्षण

    • गुदागत रक्तस्त्राव – मल त्याग के बाद मल में, टॉयलेट पेपर पर, या शौचालय में चमकदार लाल रक्त का दर्शन
    • भ्रंश / प्रोलैप्स – गुदा द्वार से बवासीर (मस्सों का) बाहर आना

    निवारण: –

    पाईल्स के निवारण के लिए कई उपायों की योजना की जाती हैं, जिसमें शौच करने का प्रयास करते समय जोर न देना, रेशेदार आहार सेवन करके कब्ज से बचना और बहुत सारे तरल पदार्थ सेवन करना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है। शौच करने का प्रयास करने में ज्यादा समय न बिताना, शौचालय में बैठकर पढ़ना नहीं चाहिए और शारीरिक वजन को नियंत्रण में रखना और भारी वजन नहीं उठाना इन नियमों का भी पालन करना चाहिये।

    निम्न नियमों से बवासीर को रोका जा सकता है –

    • रेशेदार आहार का सेवन
    • विना तकलीफ़ मलशोधन के लिए मृदु विरेचन औषधि अथवा फ़ाइबर सप्लीमेंट का सेवन
    • तरल पदार्थ का नियमित रूप से सेवन
    • मल त्याग के दौरान जोर न लगाना
    • लंबे समय तक शौचालय में न बैठना

    एक्स पाइल्स टैबलेट गुदागत मस्सा, या भगन्दर में सेंटिनल टैग को कम करता है और रक्तस्राव को रोकता है। इसका हल्का रेचक प्रभाव होता है। आयुर्वेदानुसार भूख न लगना, अपचन और कब्ज के कारण बवासीर होतें हैं। एक्स-पाइल्स टैबलेट क्षुधावर्धक और पाचक है। घटक द्रव्यों की शोथनाशक और स्तम्भक गुणों के कारण शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।

    एक्स पाइल्स ऑइंटमेंट बवासीर और भगन्दर के लिए एक उत्कृष्ट अनुभूत वनौषधि योग है। यह मलम असरदार जीवाणुरोधक, शोथनाशक और कण्डुघ्न गुणधर्मयुक्त हैं। एक्स पाइल्स ऑइंटमेंट गुदागत मस्सा, सेंटिनल टैग को कम करता है और रक्तस्राव को रोकता है। यह गुदामार्ग का स्नेहन करके आसानी से मलत्याग में मदद करता है। घटक द्रव्यों की शोथनाशक और स्तम्भन गुणों के कारण शीघ्र व्रणरोपण में लाभ होता हैं।

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