Special Offer - Order now get a flat 10 % off. Promo Code: SAVE10. Minimum Order Value Rs. 699. Toll Free Number (9.00 AM to 07:00 PM) || WhatsApp: 8291680965
Special Offer - Order now get a flat 10 % off. Pormo Code: SAVE10. Minimum Order Value Rs. 699. Toll Free Number (9.00 AM to 07:00 PM) || WhatsApp: 8291680965
प्रमेह (डायबेटीस)होनेकेदोहीकारणहैं – अग्न्याशय (पैंक्रियाज़ Pancreas)केद्वारापर्याप्तमात्रामेंइन्सुलिनकानिर्माणनहोनाअथवाशरीरकीपेशियोंकाइन्सुलिनकोप्रतिक्रियानदेना।/ शरीर की पेशियों पर इन्सुलिन का असर न होना। इन्सुलिन यह एक संप्रेरक हैं जो आहारीय शर्करा को पेशियों में पहुँचाता हैं जिसका उपयोग शरीर में ऊर्जा पैदा करने के लिये होता है ।
प्रमेह मुख्य रूप से तीन प्रकार के है –
टाइप १ डायबेटीस पैंक्रियाज़ के निष्क्रिय बीटा-पेशियों द्वारा पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण न होने की वजह से होता हैं। पहले इस प्रकार को ‘इन्सुलिन निर्भर मधुमेह’ अथवा ‘जूवेनिल डायबेटीस’ कहा जाता था।
स्वयंप्रतिकारशक्ति की तीव्र प्रतिक्रिया (ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स) के कारण बीटा पेशियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं।इस ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स का कारण अज्ञात हैं।ज्यादातर टाइप १ डायबेटीस बाल्यावस्था अथवा किशोरावस्था में होता हैं , परन्तु प्रौढ़ावस्था में भी पाया जा सकता हैं।
टाइप २ डायबेटीस इन्सुलिन के प्रतिरोध के कारण शुरू होता है, इस अवस्था में पेशियाँ इन्सुलिन को प्रतिक्रिया देने में असमर्थ होती हैं। जैसे व्याधि बढ़ती है, इन्सुलिन की कमी भी निर्माण हो सकती हैं। इसे पहले ‘नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट मधुमेह’ अथवा ‘प्रौढ़ावस्था जनित मधुमेह’ कहा जाता था। टाइप २ डायबेटीस सामान्यता प्रौढ़ावस्था में पाया जाता हैं, लेकिन बच्चों में प्रभावी रूप से मोटापा बढ़ने के कारण टाइप २ डायबेटीस युवावस्था में भी बड़ी संख्या में पाया जा रहा हैं। अतिरिक्तशारीरिकवजनऔरव्यायामकाअभावयहदोनोंकासंयोग इसकाप्रमुखकारणहैं।
गर्भावस्थाकालीन प्रमेह या मधुमेह तिसरा प्रमुख प्रकार, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ऐसी महिलाओं में, जिनमें पहले से मधुमेह का निदान न हुआ हो, गर्भावस्था के समय रक्त में शर्करा के उच्च स्तर पाए जाते हैं।गर्भकालीन मधुमेह से ग्रस्त स्त्रियों में रक्तगत शर्करा प्रसव के तुरंत बाद सामान्य हो जाती हैं। गर्भकालीन मधुमेह से ग्रस्त स्त्रियों को गर्भावस्था के बाद आगे जीवन में टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक जोखिम होता है।
टाइप १ डायबेटीस इन्सुलिन के इंजेक्शन द्वारा नियंत्रित किया जा सकता हैं। टाइप २ डायबेटीस का उपचार तथा निरोध निम्न नियम के पालन से किया जा सकता है। निरोगी आहार का सेवन, नियमित शारीरिक व्यायाम, उचित शारीरिक भार बनाये रखना और तम्बाखू सेवन न करना। टाइप २ डायबेटीस का मौखिक दवाइयों द्वारा, इन्सुलिन सहित अथवा इन्सुलिन रहित उपचार किया जाता हैं। रक्तभार का नियमन करना, योग्य आहार का सेवन और आँखो की देखभाल करना यह व्याधिग्रस्त रुग्ण में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन्सुलिन और कुछ दवाइयों से रक्तगत शर्करा अत्यधिक रूप से कम हो सकती हैं। टाइप २ डायबेटीसग्रस्त मोटे रुग्णों में मोटापा कम करने के लिए किये जानेवाली शस्त्रक्रिया से लाभ हो सकता है। गर्भकालीन मधुमेह सामन्यता अपनेआप प्रसव के उपरान्त ठीक हो जाता है।
नींद की कमी का बूरा परिणाम रक्तगत शर्करा के वृद्धि में हो सकता है। एक रात नींद पूरी न होनेपरभी इन्सुलिन प्रतिरोध बढ़ता है, जिसके कारण रक्तगत शर्करा की मात्रा बढ़ती है। परिणामस्वरूप, नींद का अभाव भी मधुमेह से सम्बंधित है।
नियंत्रण-
आहारचयन एवं शारीरिक व्यायाम द्वारा रक्तशर्करा का नियंत्रण, मौखिक दवाइयाँ और इन्सुलिन ये प्रमुख उपचार पद्धती हैं।
शारीरिक व्यायाम के लाभ
वजन को कम करना
रक्तगत शर्करा को कम करना
इन्सुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाना- जिससे रक्तगत शर्करा नियंत्रित रहती हैं।
अनुपयुक्त कार्बोदक युक्त आहार- (अतिरिक्त शर्करा और पोषणरहित) ब्रेड, पेस्ट्रीज, पास्ता, फ्रूट जूस, प्रोसेस्ड शर्करा युक्त अथवा हाई फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप का सेवन न करे।
हाई कैलोरी चरबीयुक्त अन्न नियंत्रित मात्रा में लेना चाहिये। वज़न को कम करने और नियंत्रित करने हेतु अपने आहार में अनसैच्युरेटेड चर्बीयुक्त जिसे अच्छा चर्बीयुक्त भी कहा जाता है, ऐसे आहार का समावेश करना चाहिए।
अच्छी चर्बीयुक्त आहार के स्रोत
ऑलिव्ह, सूर्यफुल , कुसुम्ब, कापुस बीज और कनोला का तेल
सूखा मेवा और बीज जैसे बादाम, मूँगफली, अलसी के बीज और कद्दू के बीज
चर्बीयुक्त मछली जैसे सालमोन, मैकेरल , सार्डिन, टूना और कॉड मछली
डायबेटीस स्क्रीनिंग/ जाँच
४५ साल से अधिक आयु के, मोटे और डायबेटीस सम्बन्धित एक और उससे से ज्यादा ख़तरे अन्तर्गत आनेवाले
सगर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित स्त्रियाँ
डायबेटीस के प्रारंभिक अवस्था (प्री डायबेटीस) के अंतर्गत आनेवाले व्यक्ती
अतिरिक्त वज़न वाले बच्चे और जिनके परिवार में टाइप २ डायबेटीस का इतिहास है अथवा अन्य खतरों के अंतर्गत आनेवाली व्यक्ती
डायनीमकैप्सूल टाइप २ डाईबेटिस की सभी अवस्थाओं में जैसे की प्रमेह की पूर्वावस्था (प्री डायबेटिकअवस्था) से लेकर प्रमेह के उपद्रवस्वरूप व्याधि (डायबेटिक कॉम्प्लीकेशन्स) इन सभी में, डायनीम एक सुरक्षित और असरदार हर्बल योग हैं। यह उत्पाद हाइपोग्लाइसेमिया के खतरे से बचाकर रक्तगत शर्करा को कम करने मे मदद करता हैं। डायनीम कैप्सूल जितनी जल्दी शुरू करें उतना ही प्रमेह के उपद्रवस्वरूप समस्याओं से बचने की संभावना बढ़ जाती है।